कली
बिल्लोरी आँखें
गिल्लौरी होंठ
गेसू ये कजरारे
ऐसे छाते लट पे लट
जैसे घनघोर घटा छाए
गुलाब की कली
चंचल ओझल तितली
तूफान में गिरती बिजली
ऐसे चमके
ऐसे दमके
जैसे जल में मछली
अल्हड़ पवन
सुन्दर मूरत
यौवन की देवी
कवि की कल्पना
कोई सपना
अनछुई अनजानी
सागर का मोती
दीपक में ज्योति
एक छलकता जाम
हम से ना पूछो
क्या कह गयी आंखें
हम शायर गुमनाम
एक छलकता जाम
हम से ना पूछो
क्या कह गयी आंखें
हम शायर गुमनाम
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