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Monday 1 May 2017

Kali

कली 

बिल्लोरी आँखें 
गिल्लौरी होंठ 
गेसू ये कजरारे

ऐसे छाते लट पे लट 
जैसे घनघोर घटा छाए 

गुलाब की कली 
चंचल ओझल तितली 
तूफान में गिरती बिजली 

ऐसे चमके 
ऐसे दमके 
जैसे जल में मछली 

अल्हड़  पवन
सुन्दर मूरत 
यौवन की देवी 

कवि की कल्पना 
कोई सपना 
अनछुई अनजानी 

 सागर का मोती 
दीपक में ज्योति
एक छलकता जाम

हम से ना पूछो 
क्या कह गयी आंखें 
हम शायर गुमनाम  

 



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