ख़्वाब
आँखें बंद हो
और ख्वाब की
मेरे हमदम हेरे हमराज़
कोई दूसरा ना हो
में सोचूँ तेरे बारे
या देखूं टूटता तारा
फलक पर आसमां पर
हो बस तेरा नज़ारा
ऐसा खेल खेला
मेरी तन्हाईयों ने
की भूला भटका बेचारा
हुआ में आवारा
गर मिलो कूचे पे
ऐ मेरे हमदम
तुझे देखूं जी भर के
ऐसा हो नज़ारा
इस कदर तेज़ है
ये आंधी हरदम
की अब तो ख्वाब भी
ना बैठे पालक पर दुबारा
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