लम्हा
लम्हो की रिमझिम में
इक पल जो रुक जाए
उस पर तेरा आना
ऐसा है ये मेला
परियों का काफ़िला
छाया है वो जादू
दिल मेरा बेक़ाबू
लम्हों के साये में
फूलों का खिल जाना
पतझड़ का मौसम हो
सावन की बारिश हो
मैंने बस ये जाना
तू शमा मैं परवाना
आ मेरी दिलजाना
इक लम्हा दे जाना
लम्हो के मौसम में
ये दिल है बेगाना
बस ये है अब ख़्वाइश
बन जाए फ़साना
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